रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा के नए नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल को बनाया गया है। बीजेपी विधायक दल की बैठक में बुधवार को प्रदेश प्रभारी डी. पुरंदेश्वरी ने उनके नाम की घोषणा की। चर्चा है कि संगठन के और भी प्रमुख चेहरों को बदला जाएगा। साल 2023 के चुनावों में भाजपा एक नई टीम खड़ी कर सकती है। इस बैठक में प्रदेश के सह प्रभारी नितिन नवीन और संगठन के महामंत्री अजय जामवाल भी मौजूद रहे।
बताया जा रहा है कि नारायण चंदेल का नाम राष्ट्रीय संगठन के नेताओं के साथ चर्चा के बाद फाइनल किया गया है। बीजेपी की इसे जातिगत समीकरण सेट करने की कोशिश माना जा रहा है। सांसद अरुण साव को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के बाद नारायण चंदेल को नेता प्रतिपक्ष बनाकर ओबीसी चेहरे पर दांव खेला है। इससे पहले नेता प्रतिपक्ष की दौड़ में नारायण चंदेल सहित अजय चंद्राकर, बृजमोहन अग्रवाल और शिवरतन शर्मा के नाम शामिल थे।
कौशिक से कहा गया हटने
पार्टी सूत्रों की माने तो धरमलाल कौशिक से संगठन के शीर्ष नेताओं ने ही नेता प्रतिपक्ष के पद से हटने को कहा। संगठन में लगातार नए चेहरे सामने लाए जाने की मांग उठ रही थी। इसी के चलते चुनाव से ठीक पहले भारतीय जनता पार्टी बदलाव के इस एक्शन मोड में नजर आ रही है। धरमलाल कौशिक और मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव दोनों बिलासपुर से ही आते हैं, इसलिए कोशिश यह है कि प्रदेश के किसी और हिस्से से भी प्रतिनिधित्व लिया जाए। 5 दिन पहले ये तस्वीर सामने आई और चर्चाएं शुरू हो गईं।
ठीक एक दिन पहले बिलासपुर दौरे के वक्त जब मीडिया ने धर्म लाल कौशिक से यह पूछा कि क्या नेता प्रतिपक्ष बदले जाएंगे? कौशिक ने मुस्कराते हुए कह दिया जो भी फैसला होगा वह आपको पता चलेगा और हमें भी हम भी यही हैं और आप लोग भी यहीं हैं।
सत्ता की चाबी ओबीसी
छत्तीसगढ़ के वोटरों का बड़ा वर्ग ओबीसी समुदाय से ताल्लुक रखता है। पिछले विधानसभा चुनावों में इस वर्ग ने कांग्रेस पर भरोसा जताया। कांग्रेस में शीर्ष नेताओं में भी कई ऐसे ओबीसी नेता है जो रिकॉर्ड मतों से जीते हैं। इसी फार्मूले को समझते हुए भारतीय जनता पार्टी ने 5 दिन पहले ही नया प्रदेश अध्यक्ष ओबीसी वर्ग से ही चुना। विधायक दल की अहम बैठक बुधवार दोपहर होगी।
जो नेता प्रतिपक्ष बनेगा सीएम की रेस में होगा
भाजपा में हालांकि सब कुछ दो गुना दो बटे चार नहीं होता। यहां कई बार अलग ही समीकरण फिट बैठता है। मगर नेता प्रतिपक्ष को लेकर माना जा रहा है कि जिसे भी जिम्मा मिलेगा सियासी तौर पर उसका सिक्का बुलंद होगा। क्योंकि आगामी चुनावों में प्रदेश में भाजपा की स्थिति बेहतर करने में उसका अहम योगदान होगा और बहुत मुमकिन है कि अगर भाजपा को जीत मिली तो उसे सीएम की रेस में बड़े दावेदार के तौर पर पेश किया जाएगा।
नारायण चंदेल कौन हैं?
नारायण चंदेल जांजगीर-चांपा से विधायक हैं। उनका जन्म 19 अप्रैल 1965 में हुआ था। उन्होंने अपना राजनीतिक जीवन 1980 से शुरू हुआ था। 1980 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के विभिन्न पदों पर 4 वर्षों तक रहने के दौरान उन्होंने अपनी अलग पहचान बनाई थी। जिसके बाद उन्हें 1984 से 86 तक जांजगीर नगर मंडल का अध्यक्ष बनाया गया था। इस बीच में अविभाजित बिलासपुर जिला के भारतीय जनता पार्टी के संगठन में जिला कार्यसमिति के सदस्य भी रहे। 1986 से 1988 तक जांजगीर नैला नगर भाजपा उपाध्यक्ष, 1988 से 1990 तक बिलासपुर जिला भाजयुमो जिला अध्यक्ष, 1991 से 1993 तक बिलासपुर भाजपा जिला महामंत्री एवं मध्य प्रदेश भाजयुमो के प्रदेश कार्यसमिति सदस्य, 1994 से 1996 मध्य प्रदेश भाजयुमो के प्रदेश मंत्री, 1997 से 1999 मध्य प्रदेश भाजयुमो के प्रदेश उपाध्यक्ष पद पर उन्होंने काम किया। यही वजह है कि पार्टी ने 1998 में चांपा विधानसभा से चुनाव लड़ाया था। 1998 के विधानसभा चुनाव में ही उन्होंने जीत दर्ज की थी। इसके बाद 2008 के विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने चुनाव जीता। 2018 के विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने जीत दर्ज की है। इसके अलावा वह प्रदेश महामंत्री की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।