0 छत्तीसगढ़ मानव अधिकार जेजेएफ के प्रदेश सदस्य शिव चौहान ने पंचायत प्रतिनिधियों व अधिकारियों पर की कार्रवाई की मांग
कोरबा। ग्राम पंचायत साजापानी में लाखों के फर्जी बिल का मामला मुख्यमंत्री तक पहंुच गया है। छत्तीसगढ़ मानव अधिकार जेजेएफ के प्रदेश सदस्य शिव चौहान ने मामले में लिप्त पंचायत प्रतिनिधियों व अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की है।
मुख्यमंत्री को प्रेषित पत्र में छत्तीसगढ़ मानव अधिकार जेजेएफ के प्रदेश सदस्य शिव चौहान ने उल्लेख किया है कि ग्राम पंचायत साजापानी जनपद पंचायत करतला में फर्जी रसीद/कैश मेमो से राशि गबन करने की शिकायत की गई थी। शिकायत के बाद सीईओ जिला पंचायत कोरबा द्वारा जांच के आदेश दिए गए थे। जांच के दौरान फर्जी बिल जारी होने के मामले को रोजगार सहायक व तत्कालीन सरपंच ने स्वीकार भी किया था। उन्हें बचाने के लिए जिला सीईओ नूतन कंवर ने पुनः जांच के आदेश जारी कर दिए। जबकि प्रतिवेदन के अनुसार 2015-16 से 2018-19 तक कुल 47 नग बिल एवं राशि 43, 10200 रूपए का उपयोग होना पाया गया। सीईओ द्वारा 8 जुलाई को दिए गए आदेश में करारोपण अधिकारी कलेश्वर सिंह कंवर एवं सचिव उदय सिंह कंवर, सरपंच एवं रोजगार सहायक से मिलीभगत कर 47 नग फर्जी बिल में से 38 नग बिल को गायब कर दिया गया। उसके स्थान पर मिलता जुलता 38 नग बिल राशि 35,9000/- का बिल जय हनुमान ट्रेडर्स ग्राम कांशीपानी ग्राम पंचायत लबेद के नाम से समावेश कर दिया गया। इस तरह मात्र 175000/-रूपए की वसूली का मामला तैयार कर खानापूर्ति की गई। श्री चौहान ने आरोप लगाया कि सीईओ द्वारा रिश्तेदारों को बचाने के लिए अपने पद की गरिमा को भी धूमिल किया जा रहा है। उक्त कार्य की प्रशासनिक स्वीकृति भी नहीं मिली थी। ट्रेडर्स के नाम से क्रय किए गए सामान का भुगतान व धनादेश जारी नहीं हुआ है। 2016-17 में लगभग 6 लाख का मुरूमीकरण दर्शित है, जोकि 11 जुलाई 2022 को मौके पर मुरूमीकरण होना पाया गया। जोकि भ्रष्टाचार को इंगित करता है। जबकि पंचायत में मुरूमीकरण वर्जित है। प्रदेश सदस्य शिव चौहान ने भ्रष्टाचार में लिप्त उक्त अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों से राशि की वसूली के साथ आपराधिक प्रकरण दर्ज कराने की मांग की है।
दस्तावेज गायब होने से पूर्व दी गई थी सूचना
छत्तीसगढ़ मानव अधिकार जेजेएफ के प्रदेश सदस्य शिव चौहान ने मुख्यमंत्री के समक्ष खुलासा किया है कि दस्तावेज गायब होने की संभावना को देखते हुए पुलिस को भी सूचना दी गई थी, लेकिन फर्जी बिल को समय रहते जप्त नहीं किया गया। परिणाम यह निकलकर सामने आया कि फर्जी बिल को गायब कर उसके स्थान पर दूसरे बिल का समावेश कर दिया गया। इस तरह शिकायत प्रमाणित होने के बाद भी आदेश में परिवर्तन कर सचिव, सरपंच व रोजगार सहायक से सेवा ली जा रही है। जनता के हित में प्राप्त राशि का गबन में जिला पंचायत सीईओ की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इसके बावजूद पदोन्नति भी दे दी गई है।